बीते दिनों की घटनाओं को देखते हुए ये शेर अचानक ही याद आ गया। देश-विदेश में चारो तरफ घट रही घटनाओं से एक अलग ही नज़ारा देखने को मिल रहा है। रोज़ ये यकीन पुख्ता होता जा रहा है कि वक्त की लहरों पर सवार चेहरे जिन्हें हम पूजने लगतें है, वो चेहरे असल मे कुछ नही है। उन चेहरों के पास अपनी कोई शक्ति नही है, असली ताकत सिर्फ वक्त के पास है। जिसका वक्त सही है वो शहंशाह है। आज कोई चेहरा ताकतवर है तो कल कोई और होगा।